तरस गए हम,
मौसम न जाने बदलेगा कब,
गरम हवाओं से थक गए हम,
यह बादल जाने बरसेगा कब ?
तरस गए हम,
अन्धकार छटेगा कब,
सनसनी आवाजों से डर गए हम,
यह सूरज जाने निकलेगा कब?
तरस गए हम,
सन्नाटा टूटेगा कब,
खामोशियों से घबरा गए हम,
प्यार का गीत सुनेगा कब?
तरस गए हम,
एकेलापन छूटेगा कब,
तनहाइयों में रो पढ़े हम,
साथ तेरा मिलेगा कब?
तरस गए हम,
इंतज़ार ख़तम होगा कब,
राह तकते तकते थक गए हम,
दीदार तेरा होगा कब?
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