Wednesday, August 29, 2012

यह तसवीरें ,
तेरी मेरी कहनियाँ है,
कहाँ है,
कहाँ थे कहती अपनी ज़ुबानियाँ है,
न बदली हैं,
न बदलेंगी यह तो दिवानगियाँ  है,
रूठना है,
मनाना  हैं दिल में जो भी रुस्वाइया हैं,
बढ़ना है,
बढ़ते जाना है चाहे राह  में हज़ार कठिनाइयां है,
दी हैं,
देते जाना है प्यार के लिए जो भी  कुर्बानियां .







सकून बस चलते रहने में ही है

गिर गिर के उठ रहे हैं,
हर पल खुद से जूझ रहे हैं,
भरी हुई महफिलों में
दिल का सकून  ढूंढ रहे हैं!
इस महफ़िल में नहीं,
उस महफ़िल में नहीं,
सकून दिल में छुपे अथाह प्यार में ही है!

हर चाहत को संजोय हुए हैं,
सपने भी आँखों में बसाए हुए हैं,
हासिल की हुई मंजिलों में
दिल का सकून  ढूंढ रहे हैं!
इस चाहत में नहीं,
उस सपने में नहीं,
सकून मंजिल की ओर सदा चलने में ही है !


हाथों की लकीरों में कुछ ढूंढ रहे हैं,
आसमां के सितोरों से कुछ पूछ रहे हैं,
हर ढलती शाम में,
दिल का सकून  ढूंढ रहे हैं!
इस हाथ में नहीं,
उस  सितारे में नहीं,
सकून कुदरत के समर्पण में ही है!

बहती हुई  हवा से पूछ रहे हैं,
बरसते हुए पानी से पूछ रहे हैं,
बहती-बरसती बूँद बूँद में
दिल का सकून  ढूंढ रहे हैं!
हवा में नहीं,
पानी में नहीं,
सकून बस चलते रहने में ही है!